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Mudakarata Modakam Songtext
von Priyadarshini

Mudakarata Modakam Songtext

मुदा करात्त मोदकं सदा विमुक्ति साधकम्
कलाधरावतंसकं विलासिलोक रक्षकम्

मुदा करात्त मोदकं सदा विमुक्ति साधकम्
कलाधरावतंसकं विलासिलोक रक्षकम्
अनायकैक नायकं विनाशितेभ दैत्यकम्
नताशुभाशु नाशकं नमामि तं विनायकम्

...नमामि तं विनायकम्
...नमामि तं विनायकम्

नतेतराति भीकरं नवोदितार्क भास्वरम्
नमत्सुरारि निर्जरं नताधिकापदुद्ढरम्

नतेतराति भीकरं नवोदितार्क भास्वरम्
नमत्सुरारि निर्जरं नताधिकापदुद्ढरम्
सुरेश्वरं निधीश्वरं गजेश्वरं गणेश्वरम्
महेश्वरं तमाश्रये परात्परं निरन्तरम्

...परात्परं निरन्तरम्
...परात्परं निरन्तरम्

समस्त लोक शङ्करं निरस्त दैत्य कुञ्जरम्
दरेतरोदरं वरं वरेभ वक्त्रमक्षरम्


समस्त लोक शङ्करं निरस्त दैत्य कुञ्जरम्
दरेतरोदरं वरं वरेभ वक्त्रमक्षरम्
कृपाकरं क्षमाकरं मुदाकरं यशस्करम्
मनस्करं नमस्कृतां नमस्करोमि भास्वरम्

...नमस्करोमि भास्वरम्
...नमस्करोमि भास्वरम्

अकिञ्चनार्ति मार्जनं चिरन्तनोक्ति भाजनम्
पुरारि पूर्व नन्दनं सुरारि गर्व चर्वणम्

अकिञ्चनार्ति मार्जनं चिरन्तनोक्ति भाजनम्
पुरारि पूर्व नन्दनं सुरारि गर्व चर्वणम्
प्रपञ्च नाश भीषणं धनञ्जयादि भूषणम्
कपोल दानवारणं भजे पुराण वारणम्

...भजे पुराण वारणम्
...भजे पुराण वारणम्

नितान्त कान्ति दन्त कान्ति मन्त कान्ति कात्मजम्
अचिन्त्य रूपमन्त हीन मन्तराय कृन्तनम्

नितान्त कान्ति दन्त कान्ति मन्त कान्ति कात्मजम्
अचिन्त्य रूपमन्त हीन मन्तराय कृन्तनम्
हृदन्तरे निरन्तरं वसन्तमेव योगिनम्
तमेकदन्तमेव तं विचिन्तयामि सन्ततम्

...विचिन्तयामि सन्ततम्
...विचिन्तयामि सन्ततम्


महागणेश पञ्चरत्नमादरेण योऽन्वहं
प्रजल्पति प्रभातके हृदि स्मरन् गणेश्वरम्

महागणेश पञ्चरत्नमादरेण योऽन्वहं
प्रजल्पति प्रभातके हृदि स्मरन् गणेश्वरम्
अरोगतामदोषतां सुसाहितीं सुपुत्रताम्
समाहितायु रष्टभूति मभ्युपैति सोऽचिरात्

...मभ्युपैति सोऽचिरात्
...मभ्युपैति सोऽचिरात्

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