Kuch Din Songtext
von Prateek Kuhad
Kuch Din Songtext
ऐसी एक याद थी, पास में बैठ के
तुमने सिखाया कैसे मोहब्बत करूँ
चादर में यूँ ही हाथ को थाम के
तुमने बताया आँखों में कैसे रहूँ
कुछ दिन ही बचे हैं, जब तक दिल भरे हैं
बाँहों में रहो तुम, धड़कन मेरी धुन है
तन पे जो सियाही दिल में यूँ मिला दी
बाँहों में रहो तुम, धड़कन मेरी धुन है
ज़ुल्फ़ों की ओढ़ में ऐसा जोड़ है
कैसे मैं बताऊँ, क्या राज़ हो तुम
शबनम है जैसी साँसों में नमी
बह जाऊँ मैं, हो ऐसी आवाज़ तुम
कुछ दिन ही बचे हैं, जब तक दिल भरे हैं
बाँहों में रहो तुम, धड़कन मेरी धुन है
तन पे जो सियाही दिल में यूँ मिला दी
बाँहों में रहो तुम, धड़कन मेरी धुन है
क्यूँ हैं फ़ासले?
क्या नज़र में इक़रार काफ़ी नहीं?
ऐसी एक याद थी, पास में बैठ के
तुमने सिखाया कैसे मोहब्बत करूँ
कुछ दिन ही बचे हैं, जब तक दिल भरे हैं
बाँहों में रहो तुम, धड़कन मेरी धुन है
तन पे जो सियाही दिल में यूँ मिला दी
बाँहों में रहो तुम, धड़कन मेरी धुन है
तुमने सिखाया कैसे मोहब्बत करूँ
चादर में यूँ ही हाथ को थाम के
तुमने बताया आँखों में कैसे रहूँ
कुछ दिन ही बचे हैं, जब तक दिल भरे हैं
बाँहों में रहो तुम, धड़कन मेरी धुन है
तन पे जो सियाही दिल में यूँ मिला दी
बाँहों में रहो तुम, धड़कन मेरी धुन है
ज़ुल्फ़ों की ओढ़ में ऐसा जोड़ है
कैसे मैं बताऊँ, क्या राज़ हो तुम
शबनम है जैसी साँसों में नमी
बह जाऊँ मैं, हो ऐसी आवाज़ तुम
कुछ दिन ही बचे हैं, जब तक दिल भरे हैं
बाँहों में रहो तुम, धड़कन मेरी धुन है
तन पे जो सियाही दिल में यूँ मिला दी
बाँहों में रहो तुम, धड़कन मेरी धुन है
क्यूँ हैं फ़ासले?
क्या नज़र में इक़रार काफ़ी नहीं?
ऐसी एक याद थी, पास में बैठ के
तुमने सिखाया कैसे मोहब्बत करूँ
कुछ दिन ही बचे हैं, जब तक दिल भरे हैं
बाँहों में रहो तुम, धड़कन मेरी धुन है
तन पे जो सियाही दिल में यूँ मिला दी
बाँहों में रहो तुम, धड़कन मेरी धुन है
Writer(s): Prateek Kuhad Lyrics powered by www.musixmatch.com