Woh Subah Kabhi Toh Aayegi Songtext
von Mukesh & Asha Bhosle
Woh Subah Kabhi Toh Aayegi Songtext
वो सुबह कभी तो आयेगी
इन काली सदियों के सर से, जब रात का आँचल ढलकेगा
जब दुख के बादल पिघलेंगे, जब सुख का सागर छलकेगा
जब अम्बर झूम के नाचेगा, जब धरती नग़में गायेगी
वो सुबह कभी तो आयेगी
जिस सुबह की ख़ातिर जुग-जुग से, हम सब मर-मर कर जीते हैं
जिस सुबह के अमृत की धुन में, हम ज़हर के प्याले पीते हैं
इन भूखी प्यासी रूहों पर, इक दिन तो करम फ़र्मायेगी
वो सुबह कभी तो आयेगी
माना कि अभी तेरे मेरे, अरमानों की कीमत कुछ भी नहीं
मिट्टी का भी है कुछ मोल मगर, इन्सानों की कीमत कुछ भी नहीं
इन्सानों की इज्ज़त जब झूठे, सिक्कों में न तोली जायेगी
वो सुबह कभी तो आयेगी
इन काली सदियों के सर से, जब रात का आँचल ढलकेगा
जब दुख के बादल पिघलेंगे, जब सुख का सागर छलकेगा
जब अम्बर झूम के नाचेगा, जब धरती नग़में गायेगी
वो सुबह कभी तो आयेगी
जिस सुबह की ख़ातिर जुग-जुग से, हम सब मर-मर कर जीते हैं
जिस सुबह के अमृत की धुन में, हम ज़हर के प्याले पीते हैं
इन भूखी प्यासी रूहों पर, इक दिन तो करम फ़र्मायेगी
वो सुबह कभी तो आयेगी
माना कि अभी तेरे मेरे, अरमानों की कीमत कुछ भी नहीं
मिट्टी का भी है कुछ मोल मगर, इन्सानों की कीमत कुछ भी नहीं
इन्सानों की इज्ज़त जब झूठे, सिक्कों में न तोली जायेगी
वो सुबह कभी तो आयेगी
Writer(s): N/a Khaiyyaam, Ludiavani Sahir Lyrics powered by www.musixmatch.com