Zaroori Bewakoofi Songtext
von Mohit Chauhan
Zaroori Bewakoofi Songtext
एक बार की बात थी, एक दम फ़िज़ूल की
परिंदा एक सुलझा था, पतंग से उलझा था
उल्टा वो, उल्टा वो, मोहब्बत से फिसला वो
गिरकर-सँभलकर वो, खोया-खोया सा हँसकर वो
अखियों की मस्ती में जो दास्ताँ ये झलकती है
दिखती है, छुपती है, हौले से बुलाती है
कहानी अतरंगी सी, पहेली अनोखी सी
थोड़ी अधूरी सी, ज़रूरी बेवकूफ़ी सी
कहानी अतरंगी सी, पहेली अनोखी सी
थोड़ी अधूरी सी, ज़रूरी बेवकूफ़ी सी
बैठ कर वो सोचता, परिंदा था जो हमारा
डगमगा चुका था, फिर इरादा हिचकिचाया
सवालों से दूर, जवाबों से दूर
उस एहसास के पास जो खुद में, खुद में भरपूर
लगती बस खुद की, पर है वो अब सब की
एक रंगों की टोली, आबाद और आज़ाद
ऐसी कमाल की ये सपनों की झोली
कहानी अतरंगी सी, पहेली अनोखी सी
थोड़ी अधूरी सी, ज़रूरी बेवकूफ़ी सी
कहानी अतरंगी सी, पहेली अनोखी सी
थोड़ी अधूरी सी, ज़रूरी बेवकूफ़ी सी
फिर मकसद भी मुस्कुराया, और
उसका वक्त भी पलट आया
एक फँसने-फँसाने का फ़साना अब गुदगुदाया
ज़ोर से उछला वो, अतरंगी परिंदा वो
कोशिश को पूरा करना था, उस फ़लक को झपकना था
तस्वीरें उम्मीदों की, सोई हुई उन ख़ाबों की
झाँक कर नज़र आएँ जो मज़ेदार वो पुकार कर मिल जाएँ
कहानी अतरंगी सी, पहेली अनोखी सी
थोड़ी अधूरी सी, ज़रूरी बेवकूफ़ी सी
कहानी अतरंगी सी, पहेली अनोखी सी
थोड़ी अधूरी सी, ज़रूरी बेवकूफ़ी सी
कहानी अतरंगी सी, पहेली अनोखी सी
थोड़ी अधूरी सी, ज़रूरी बेवकूफ़ी सी
कहानी अतरंगी सी, पहेली अनोखी सी
थोड़ी अधूरी सी, ज़रूरी बेवकूफ़ी सी
कहानी अतरंगी सी, पहेली अनोखी सी
थोड़ी अधूरी सी, ज़रूरी बेवकूफ़ी सी
कहानी अतरंगी सी, पहेली अनोखी सी
थोड़ी अधूरी सी, ज़रूरी बेवकूफ़ी...
परिंदा एक सुलझा था, पतंग से उलझा था
उल्टा वो, उल्टा वो, मोहब्बत से फिसला वो
गिरकर-सँभलकर वो, खोया-खोया सा हँसकर वो
अखियों की मस्ती में जो दास्ताँ ये झलकती है
दिखती है, छुपती है, हौले से बुलाती है
कहानी अतरंगी सी, पहेली अनोखी सी
थोड़ी अधूरी सी, ज़रूरी बेवकूफ़ी सी
कहानी अतरंगी सी, पहेली अनोखी सी
थोड़ी अधूरी सी, ज़रूरी बेवकूफ़ी सी
बैठ कर वो सोचता, परिंदा था जो हमारा
डगमगा चुका था, फिर इरादा हिचकिचाया
सवालों से दूर, जवाबों से दूर
उस एहसास के पास जो खुद में, खुद में भरपूर
लगती बस खुद की, पर है वो अब सब की
एक रंगों की टोली, आबाद और आज़ाद
ऐसी कमाल की ये सपनों की झोली
कहानी अतरंगी सी, पहेली अनोखी सी
थोड़ी अधूरी सी, ज़रूरी बेवकूफ़ी सी
कहानी अतरंगी सी, पहेली अनोखी सी
थोड़ी अधूरी सी, ज़रूरी बेवकूफ़ी सी
फिर मकसद भी मुस्कुराया, और
उसका वक्त भी पलट आया
एक फँसने-फँसाने का फ़साना अब गुदगुदाया
ज़ोर से उछला वो, अतरंगी परिंदा वो
कोशिश को पूरा करना था, उस फ़लक को झपकना था
तस्वीरें उम्मीदों की, सोई हुई उन ख़ाबों की
झाँक कर नज़र आएँ जो मज़ेदार वो पुकार कर मिल जाएँ
कहानी अतरंगी सी, पहेली अनोखी सी
थोड़ी अधूरी सी, ज़रूरी बेवकूफ़ी सी
कहानी अतरंगी सी, पहेली अनोखी सी
थोड़ी अधूरी सी, ज़रूरी बेवकूफ़ी सी
कहानी अतरंगी सी, पहेली अनोखी सी
थोड़ी अधूरी सी, ज़रूरी बेवकूफ़ी सी
कहानी अतरंगी सी, पहेली अनोखी सी
थोड़ी अधूरी सी, ज़रूरी बेवकूफ़ी सी
कहानी अतरंगी सी, पहेली अनोखी सी
थोड़ी अधूरी सी, ज़रूरी बेवकूफ़ी सी
कहानी अतरंगी सी, पहेली अनोखी सी
थोड़ी अधूरी सी, ज़रूरी बेवकूफ़ी...
Writer(s): Clinton Cerejo, Pushaan Mukherjee Lyrics powered by www.musixmatch.com