Is Duniya Mein Kaun Sunega Songtext
von Mohammed Aziz
Is Duniya Mein Kaun Sunega Songtext
इस दुनिया में कौन सुनेगा दुखड़े दुख के मारों के?
गली-गली में लगे हैं जब दरबार ये भ्रष्टाचारों के
ये जनता की है ललकार, बंद करो ये भ्रष्टाचार
ये जनता की है ललकार, बंद करो ये भ्रष्टाचार
बंद करो ये भ्रष्टाचार, बंद करो ये भ्रष्टाचार
ये जनता की है ललकार, बंद करो ये भ्रष्टाचार
चोर बने हैं थानेदार, बंद करो ये भ्रष्टाचार
ये जनता की है ललकार, बंद करो ये भ्रष्टाचार
पकड़ो रिश्वतख़ोरों को, लूटे जो कमज़ोरों को
रिश्वत लेकर काम करें, कुर्सी को बदनाम करें
इन में धोखे होते हैं, इन में सौदें होते हैं
इन में धोखे होते हैं, इन में सौदें होते हैं
ये दफ़्तर है या बाज़ार? बंद करो ये भ्रष्टाचार
ये जनता की है ललकार, बंद करो ये भ्रष्टाचार
चोर बने हैं थानेदार, बंद करो ये भ्रष्टाचार
ये जनता की है ललकार, बंद करो ये भ्रष्टाचार
पहले खाते थे रोटी, अब खाए हीरे-मोती
पहले पीते थे पानी, खून पिए अब इंसानी
इनसे मिलो ये हैं वो लोग, जो है मानवता के रोग
इनसे मिलो ये हैं वो लोग, जो है मानवता के रोग
इनका करो अंतिम संस्कार, बंद करो ये भ्रष्टाचार
ये जनता की है ललकार, बंद करो ये भ्रष्टाचार
चोर बने हैं थानेदार, बंद करो ये भ्रष्टाचार
ये जनता की है ललकार, बंद करो ये भ्रष्टाचार
ये इंसाफ़ तराज़ू है, लेकिन ये क्या जादू है?
एक पलड़ा है झुका हुआ, एक पलड़ा है उठा हुआ
सबको ये मालूम हैं, ये औरत मासूम है
मुजरीम है, ना कातिल है, ये तो ख़ुद मज़लूम है
निर्दोषों को दंड ना दो, गीता को सौगंध ना दो
न्याय अंधा-बहरा है, सच पर झूठ का पहरा है
न्याय अंधा-बहरा है, सच पर झूठ का पहरा है
कैसे कोई सच बोले, कैसे कोई मुँह खोले
कैसे कोई सच बोले, कैसे कोई मुँह खोले
सर पे लटकी है तलवार, बंद करो ये भ्रष्टाचार
ये जनता की है ललकार, बंद करो ये भ्रष्टाचार
चोर बने हैं थानेदार, बंद करो ये भ्रष्टाचार
ये जनता की है ललकार, बंद करो ये भ्रष्टाचार
ये जनता की है ललकार, बंद करो ये भ्रष्टाचार
बंद करो ये भ्रष्टाचार, भ्रष्टाचार
बंद करो ये भ्रष्टाचार, भ्रष्टाचार
बंद करो ये भ्रष्टाचार, बंद करो ये भ्रष्टाचार
बंद करो ये भ्रष्टाचार, बंद करो ये भ्रष्टाचार
गली-गली में लगे हैं जब दरबार ये भ्रष्टाचारों के
ये जनता की है ललकार, बंद करो ये भ्रष्टाचार
ये जनता की है ललकार, बंद करो ये भ्रष्टाचार
बंद करो ये भ्रष्टाचार, बंद करो ये भ्रष्टाचार
ये जनता की है ललकार, बंद करो ये भ्रष्टाचार
चोर बने हैं थानेदार, बंद करो ये भ्रष्टाचार
ये जनता की है ललकार, बंद करो ये भ्रष्टाचार
पकड़ो रिश्वतख़ोरों को, लूटे जो कमज़ोरों को
रिश्वत लेकर काम करें, कुर्सी को बदनाम करें
इन में धोखे होते हैं, इन में सौदें होते हैं
इन में धोखे होते हैं, इन में सौदें होते हैं
ये दफ़्तर है या बाज़ार? बंद करो ये भ्रष्टाचार
ये जनता की है ललकार, बंद करो ये भ्रष्टाचार
चोर बने हैं थानेदार, बंद करो ये भ्रष्टाचार
ये जनता की है ललकार, बंद करो ये भ्रष्टाचार
पहले खाते थे रोटी, अब खाए हीरे-मोती
पहले पीते थे पानी, खून पिए अब इंसानी
इनसे मिलो ये हैं वो लोग, जो है मानवता के रोग
इनसे मिलो ये हैं वो लोग, जो है मानवता के रोग
इनका करो अंतिम संस्कार, बंद करो ये भ्रष्टाचार
ये जनता की है ललकार, बंद करो ये भ्रष्टाचार
चोर बने हैं थानेदार, बंद करो ये भ्रष्टाचार
ये जनता की है ललकार, बंद करो ये भ्रष्टाचार
ये इंसाफ़ तराज़ू है, लेकिन ये क्या जादू है?
एक पलड़ा है झुका हुआ, एक पलड़ा है उठा हुआ
सबको ये मालूम हैं, ये औरत मासूम है
मुजरीम है, ना कातिल है, ये तो ख़ुद मज़लूम है
निर्दोषों को दंड ना दो, गीता को सौगंध ना दो
न्याय अंधा-बहरा है, सच पर झूठ का पहरा है
न्याय अंधा-बहरा है, सच पर झूठ का पहरा है
कैसे कोई सच बोले, कैसे कोई मुँह खोले
कैसे कोई सच बोले, कैसे कोई मुँह खोले
सर पे लटकी है तलवार, बंद करो ये भ्रष्टाचार
ये जनता की है ललकार, बंद करो ये भ्रष्टाचार
चोर बने हैं थानेदार, बंद करो ये भ्रष्टाचार
ये जनता की है ललकार, बंद करो ये भ्रष्टाचार
ये जनता की है ललकार, बंद करो ये भ्रष्टाचार
बंद करो ये भ्रष्टाचार, भ्रष्टाचार
बंद करो ये भ्रष्टाचार, भ्रष्टाचार
बंद करो ये भ्रष्टाचार, बंद करो ये भ्रष्टाचार
बंद करो ये भ्रष्टाचार, बंद करो ये भ्रष्टाचार
Writer(s): Anand Bakshi, Laxmikant Kudalkar, Sharma Pyarelal Lyrics powered by www.musixmatch.com