Musafir Songtext
von KK
Musafir Songtext
मुसाफिर मैं हूँ ये किस मोड़ पर
नज़र में नहीं है कोई भी डगर
परिंदा जैसे फिरे दरबदर
ये पूछे कहाँ है मेरा एक बसर
जहाँ वक़्त हो थमा
और हो सुकून ज़रा
क्यों तन्हाईयाँ...
दिल की दुहाहियाँ
क्यों ये जुदाइयां.
रूह में समाईयाँ.
मैं ही नज़र
मैं ही जुबान
मैं ही तो ख्वाहिश
ख्वाबों में हूँ
मैं ही असर
मैं ही वजह...
मैं ही तो अपने इरादों में हूँ
खुद से ही रोशन
खुद का मैं हमदम
खुद का हूँ दर्पण
है खुद पे यकीन बस मुझे
पर अपनों से फासले हैं
क्यों तन्हाईयाँ...
दिल की दुहाहियाँ
क्यों ये जुदाइयां.
रूह में समाईयाँ.
एक एहसान कर दे ज़रा
अपनी मोहब्बत की देदे पनाह
जीने का है तू ही सबब
फिर क्या करूँ मैं यह जज़्बात बयान
तुझसे जुड़ूँ मैं
जुड़ा ही रहूं मैं
तेरी बाफौं के साए में
यह सफ़र कटे
क्यूँ तन्हाईयायाँ यैइयायाँ...
दिल की दुहाययाँ यैइयायाँ.
क्यूँ यह जूदायायाँ यैइयायाँ.
रूह में समैईयायाँ यैइयायाँ.
मुसाफिर मैं हूँ ये किस मोड़ पर
नज़र में नहीं है कोई भी डगर
परिंदा जैसे फिरे दर-बदर
ये पूछे कहाँ है मेरा एक बसर
जहाँ वक़्त हो थमा
और हो सुकून ज़रा
नज़र में नहीं है कोई भी डगर
परिंदा जैसे फिरे दरबदर
ये पूछे कहाँ है मेरा एक बसर
जहाँ वक़्त हो थमा
और हो सुकून ज़रा
क्यों तन्हाईयाँ...
दिल की दुहाहियाँ
क्यों ये जुदाइयां.
रूह में समाईयाँ.
मैं ही नज़र
मैं ही जुबान
मैं ही तो ख्वाहिश
ख्वाबों में हूँ
मैं ही असर
मैं ही वजह...
मैं ही तो अपने इरादों में हूँ
खुद से ही रोशन
खुद का मैं हमदम
खुद का हूँ दर्पण
है खुद पे यकीन बस मुझे
पर अपनों से फासले हैं
क्यों तन्हाईयाँ...
दिल की दुहाहियाँ
क्यों ये जुदाइयां.
रूह में समाईयाँ.
एक एहसान कर दे ज़रा
अपनी मोहब्बत की देदे पनाह
जीने का है तू ही सबब
फिर क्या करूँ मैं यह जज़्बात बयान
तुझसे जुड़ूँ मैं
जुड़ा ही रहूं मैं
तेरी बाफौं के साए में
यह सफ़र कटे
क्यूँ तन्हाईयायाँ यैइयायाँ...
दिल की दुहाययाँ यैइयायाँ.
क्यूँ यह जूदायायाँ यैइयायाँ.
रूह में समैईयायाँ यैइयायाँ.
मुसाफिर मैं हूँ ये किस मोड़ पर
नज़र में नहीं है कोई भी डगर
परिंदा जैसे फिरे दर-बदर
ये पूछे कहाँ है मेरा एक बसर
जहाँ वक़्त हो थमा
और हो सुकून ज़रा
Writer(s): Pritaam Chakraborty, Amitabh Bhattacharya Lyrics powered by www.musixmatch.com