Kaabil Hoon (From "Kaabil") Songtext
von Jubin Nautiyal & Palak Muchhal
Kaabil Hoon (From "Kaabil") Songtext
तेरे-मेरे सपने सभी...
तेरे-मेरे सपने सभी बंद आँखों के ताले में हैं
चाबी कहाँ ढूँढें बता? वो चाँद के प्याले में है
फ़िर भी सपने कर दिखाऊँ सच तो कहना बस यही
मैं तेरे क़ाबिल हूँ या तेरे क़ाबिल नहीं
मैं तेरे क़ाबिल हूँ या तेरे क़ाबिल नहीं
तेरे-मेरे सपने सभी...
तेरे-मेरे सपने सभी बंद आँखों के ताले में हैं
चाबी कहाँ ढूँढें बता? वो चाँद के प्याले में है
फ़िर भी सपने कर दिखाऊँ सच तो कहना बस यही
"मैं तेरे क़ाबिल हूँ या तेरे क़ाबिल नहीं
मैं तेरे क़ाबिल हूँ या तेरे क़ाबिल नहीं"
ये शरारतें, ये मस्तियाँ, अपना यही अंदाज़ है
हो, समझाएँ क्या, कैसे कहें? जीने का इस में राज़ है
धड़कन कहाँ ये धड़कती है, दिल में तेरी आवाज़ है
अपनी सब खुशियों का अब तो ये आग़ाज़ है
तेरे-मेरे सपने सभी...
तेरे-मेरे सपने सभी बंद आँखों के ताले में हैं
चाबी कहाँ ढूँढें बता? वो चाँद के प्याले में है
फिर भी सपने कर दिखाऊँ सच तो कहना बस यही
"मैं तेरे क़ाबिल हूँ या तेरे क़ाबिल नहीं
मैं तेरे क़ाबिल हूँ या तेरे क़ाबिल नहीं"
सागर की रेत पे दिल को जब ये बनाएँगी मेरी उँगलियाँ
तेरे नाम को ही पुकार के खनकेंगी मेरी चूड़ियाँ
तुझ में अदा ऐसी है आज उड़ती हों जैसे तितलियाँ
फीकी अब ना होंगी कभी ये रंगीनियाँ
तेरे-मेरे सपने सभी बंद आँखों के ताले में हैं
चाबी कहाँ ढूँढें बता? वो चाँद के प्याले में है
फ़िर भी सपने कर दिखाऊँ सच तो कहना बस यही
"मैं तेरे क़ाबिल हूँ या तेरे क़ाबिल नहीं
मैं तेरे क़ाबिल हूँ या तेरे क़ाबिल नहीं"
तेरे-मेरे सपने सभी बंद आँखों के ताले में हैं
चाबी कहाँ ढूँढें बता? वो चाँद के प्याले में है
फ़िर भी सपने कर दिखाऊँ सच तो कहना बस यही
मैं तेरे क़ाबिल हूँ या तेरे क़ाबिल नहीं
मैं तेरे क़ाबिल हूँ या तेरे क़ाबिल नहीं
तेरे-मेरे सपने सभी...
तेरे-मेरे सपने सभी बंद आँखों के ताले में हैं
चाबी कहाँ ढूँढें बता? वो चाँद के प्याले में है
फ़िर भी सपने कर दिखाऊँ सच तो कहना बस यही
"मैं तेरे क़ाबिल हूँ या तेरे क़ाबिल नहीं
मैं तेरे क़ाबिल हूँ या तेरे क़ाबिल नहीं"
ये शरारतें, ये मस्तियाँ, अपना यही अंदाज़ है
हो, समझाएँ क्या, कैसे कहें? जीने का इस में राज़ है
धड़कन कहाँ ये धड़कती है, दिल में तेरी आवाज़ है
अपनी सब खुशियों का अब तो ये आग़ाज़ है
तेरे-मेरे सपने सभी...
तेरे-मेरे सपने सभी बंद आँखों के ताले में हैं
चाबी कहाँ ढूँढें बता? वो चाँद के प्याले में है
फिर भी सपने कर दिखाऊँ सच तो कहना बस यही
"मैं तेरे क़ाबिल हूँ या तेरे क़ाबिल नहीं
मैं तेरे क़ाबिल हूँ या तेरे क़ाबिल नहीं"
सागर की रेत पे दिल को जब ये बनाएँगी मेरी उँगलियाँ
तेरे नाम को ही पुकार के खनकेंगी मेरी चूड़ियाँ
तुझ में अदा ऐसी है आज उड़ती हों जैसे तितलियाँ
फीकी अब ना होंगी कभी ये रंगीनियाँ
तेरे-मेरे सपने सभी बंद आँखों के ताले में हैं
चाबी कहाँ ढूँढें बता? वो चाँद के प्याले में है
फ़िर भी सपने कर दिखाऊँ सच तो कहना बस यही
"मैं तेरे क़ाबिल हूँ या तेरे क़ाबिल नहीं
मैं तेरे क़ाबिल हूँ या तेरे क़ाबिल नहीं"
Writer(s): Rajesh Roshan, Nasir Faraaz Lyrics powered by www.musixmatch.com