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Sikandar Songtext
von Hariharan

Sikandar Songtext

कभी एक हाथ, कभी चुटकी भर
बस इतना सा रह जाएगा
जो जीत ना पाए
आख़िर तक एक कोना वही सताएगा


सारे कोने छान के लौटे
क़ामयाबी के किनारे हैं
ज़िंदगी की गद्दारी से कई सिकंदर हारे हैं
ज़िंदगी की गद्दारी से कई सिकंदर हारे हैं

सपने और सच का रिश्ता टूटा
साथ नहीं ये आने हैं
सच कहते थे लोग के सारे
हम ही एक दीवाने हैं

प्यास समंदर की कोई पूछे
भरे हैं फिर भी खारे हैं
ज़िंदगी की गद्दारी से कई सिकंदर हारे हैं
ज़िंदगी की गद्दारी से कई सिकंदर हारे हैं

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