Raat Khamosh Thi Songtext
von Hariharan
Raat Khamosh Thi Songtext
रात ख़ामोश थी, गुनगुनाते रहे
रात ख़ामोश थी, गुनगुनाते रहे
अजनबी शहर के अजनबी रास्ते
अजनबी था मैं, अपना बनाते रहे
अजनबी था मैं, अपना बनाते रहे
अजनबी शहर के अजनबी रास्ते
रात ख़ामोश थी, गुनगुनाते रहे
कोई साथी, कोई हमसफ़र ना मिला
शहर अनजान था, उसका घर ना मिला
कोई साथी, कोई हमसफ़र ना मिला
शहर अनजान था, उसका घर ना मिला
पास आते रहे, दूर जाते रहे
पास आते रहे, दूर जाते रहे
अजनबी शहर के अजनबी रास्ते
रात ख़ामोश थी, गुनगुनाते रहे
सूनी आँखों में काँटे खटकते रहे
दर्द सीने में लेके भटकते रहे
सूनी आँखों में काँटे खटकते रहे
दर्द सीने में लेके भटकते रहे
रात-भर तेरी बातें सुनाते रहे
रात-भर तेरी बातें सुनाते रहे
अजनबी शहर के अजनबी रास्ते
रात ख़ामोश थी, गुनगुनाते रहे
उसकी साँसों की गर्मी फ़ज़ाओं में थी
उसकी ज़ुल्फ़ों की ख़ुशबू हवाओं में थी
उसकी साँसों की गर्मी फ़ज़ाओं में थी
उसकी ज़ुल्फ़ों की ख़ुशबू हवाओं में थी
हम भी शेरों में, राशिद, सजाते रहे
हम भी शेरों में, राशिद, सजाते रहे
अजनबी शहर के अजनबी रास्ते
रात ख़ामोश थी, गुनगुनाते रहे
रात ख़ामोश थी, गुनगुनाते रहे
अजनबी शहर के अजनबी रास्ते
अजनबी था मैं, अपना बनाते रहे
अजनबी था मैं, अपना बनाते रहे
अजनबी शहर के अजनबी रास्ते
रात ख़ामोश थी, गुनगुनाते रहे
रात ख़ामोश थी, गुनगुनाते रहे
अजनबी शहर के अजनबी रास्ते
अजनबी था मैं, अपना बनाते रहे
अजनबी था मैं, अपना बनाते रहे
अजनबी शहर के अजनबी रास्ते
रात ख़ामोश थी, गुनगुनाते रहे
कोई साथी, कोई हमसफ़र ना मिला
शहर अनजान था, उसका घर ना मिला
कोई साथी, कोई हमसफ़र ना मिला
शहर अनजान था, उसका घर ना मिला
पास आते रहे, दूर जाते रहे
पास आते रहे, दूर जाते रहे
अजनबी शहर के अजनबी रास्ते
रात ख़ामोश थी, गुनगुनाते रहे
सूनी आँखों में काँटे खटकते रहे
दर्द सीने में लेके भटकते रहे
सूनी आँखों में काँटे खटकते रहे
दर्द सीने में लेके भटकते रहे
रात-भर तेरी बातें सुनाते रहे
रात-भर तेरी बातें सुनाते रहे
अजनबी शहर के अजनबी रास्ते
रात ख़ामोश थी, गुनगुनाते रहे
उसकी साँसों की गर्मी फ़ज़ाओं में थी
उसकी ज़ुल्फ़ों की ख़ुशबू हवाओं में थी
उसकी साँसों की गर्मी फ़ज़ाओं में थी
उसकी ज़ुल्फ़ों की ख़ुशबू हवाओं में थी
हम भी शेरों में, राशिद, सजाते रहे
हम भी शेरों में, राशिद, सजाते रहे
अजनबी शहर के अजनबी रास्ते
रात ख़ामोश थी, गुनगुनाते रहे
रात ख़ामोश थी, गुनगुनाते रहे
अजनबी शहर के अजनबी रास्ते
अजनबी था मैं, अपना बनाते रहे
अजनबी था मैं, अपना बनाते रहे
अजनबी शहर के अजनबी रास्ते
रात ख़ामोश थी, गुनगुनाते रहे
Writer(s): Hariharan, Mumtaz Rashid Lyrics powered by www.musixmatch.com