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Ab Ke Baras Songtext
von Hariharan

Ab Ke Baras Songtext

अब के बरस भी रह गए प्यासे
अब के बरस भी रह गए प्यासे
आग लगे इस सावन को
ऐसी लगी बिरह की अग्नि
ऐसी लगी बिरह की अग्नि
जिसने जलाया तन-मन को
अब के बरस भी रह गए प्यासे
आग लगे इस सावन को

दुनिया से क्या करते शिकायत
लाएँ ना शिकवा लब तक हम
अपने ही दामन की वीरानी
करते गवारा कब तक हम

फूल ना थे तो रख लिए काँटे
फूल ना थे तो रख लिए काँटे
ऐसे सजाया दामन को
ऐसी लगी बिरह की अग्नि
जिसने जलाया तन-मन को
अब के बरस भी रह गए प्यासे
आग लगे इस सावन को


कितनी ही ग़म की रात हो काली
होती है आख़िर उसकी सहर
नफ़रत से, ओ, देखने वाले
इसकी भी है कुछ तुझको ख़बर
इसकी भी है कुछ तुझको ख़बर

प्यार में है तासीर कुछ ऐसी
प्यार में है तासीर कुछ ऐसी
दोस्त बना दे दुश्मन को
ऐसी लगी बिरह की अग्नि
जिसने जलाया तन-मन को
अब के बरस भी रह गए प्यासे
आग लगे इस सावन को

लफ़्ज़ों में हम दर्द समाते
इतनी कहाँ थी अपनी मजाल
दाद-ए-सुख़न क्यूँ देते हो हमको?
इसमें नहीं कुछ अपना कमाल

उसकी करो तारीफ़ कि जिसके
उसकी करो तारीफ़ कि जिसके
ग़म ने निखारा है फ़न को
ऐसी लगी बिरह की अग्नि
ऐसी लगी बिरह की अग्नि
जिसने जलाया तन-मन को
अब के बरस भी रह गए प्यासे
आग लगे इस सावन को

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