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Yeh ishq hai Songtext
von Arijit Singh

Yeh ishq hai Songtext

ये इश्क है
ये इश्क है
ये इश्क है
ये इश्क है

सूफी के सुफे की
लौ उठ के कहती है
आतिश ये बुझ के भी
जलती ही रहती है

ये इश्क है
ये इश्क है
ये इश्क है
ये इश्क है

सूफी के सुल्फे की
लौ उठ के कहती है
आतिश ये बुझ के भी
जलती ही रहती है

ये इश्क है
ये इश्क है


साहिल पे सर रखके
दरिया है सोया है
सदियों से बहता है
आँखों ने बोया है

ये इश्क है रे
ये इश्क है
ये इश्क है रे
ये इश्क है

तन्हाई धुन ता है
परछाई बुनता है
रेशम सी नज़रों को
आँखों से सुनता है

ये इश्क है
ये इश्क है
ये इश्क है

सूफी के सुल्फे की लौ उट्ठी
अल्लाह हूँ (अल्लाह हूँ अल्लाह हूँ)
अल्लाह हूँ, अल्लाह हूँ
अल्लाह हूँ

सूफी के सुल्फे की लौ उट्ठी
अल्लाह हूँ
जलते ही रहना है
बाकी ना मैं ना तू


ये इश्क है रे
ये इश्क है
बेखुद सा रहता है
यह कैसा सूफी है
जागे तों तबरीज़ी
बोले तों रूमी है

ये इश्क है
ये इश्क है
ये इश्क है

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