Kahun Songtext
von Ankur Tewari
Kahun Songtext
लब अब खुलने लगे हैं
सिले थे, उधड़ने लगे
लब अब बढ़ने लगे हैं
हद से निकलने लगे
ख़ामोशियों से, सरगोशियों से
सच मैं कहूँ, कहूँ
लब अब चलने लगे हैं
सँभले थे, फिसलने लगे
लब अब बदलने लगे हैं
भले थे, बिगड़ने लगे
ख़ामोशियों से, सरगोशियों से
सच मैं कहूँ, कहूँ
कहूँ, कहूँ
कहूँ मैं टूटे तारों से
ज़र्रे-ज़र्रे, आसमानों से
सुनो के लब आज़ाद हैं
ईमान के पहरेदारों से
कहूँ रस्म-ओ-रिवायत से
बूँद-बूँद में सहराओं से
सुनो के लब आज़ाद हैं
पहचान के पहरेदारों से
कहूँ, कहूँ
(कहूँ फ़ैज़ से, फ़िराक़ से)
(सीने में सुलगते अल्फ़ाज़ से)
(सुनो के लब आज़ाद हैं)
(आवाज़ दबाने वालों से)
(कहूँ, कहूँ)
(मैं कहूँ)
सिले थे, उधड़ने लगे
लब अब बढ़ने लगे हैं
हद से निकलने लगे
ख़ामोशियों से, सरगोशियों से
सच मैं कहूँ, कहूँ
लब अब चलने लगे हैं
सँभले थे, फिसलने लगे
लब अब बदलने लगे हैं
भले थे, बिगड़ने लगे
ख़ामोशियों से, सरगोशियों से
सच मैं कहूँ, कहूँ
कहूँ, कहूँ
कहूँ मैं टूटे तारों से
ज़र्रे-ज़र्रे, आसमानों से
सुनो के लब आज़ाद हैं
ईमान के पहरेदारों से
कहूँ रस्म-ओ-रिवायत से
बूँद-बूँद में सहराओं से
सुनो के लब आज़ाद हैं
पहचान के पहरेदारों से
कहूँ, कहूँ
(कहूँ फ़ैज़ से, फ़िराक़ से)
(सीने में सुलगते अल्फ़ाज़ से)
(सुनो के लब आज़ाद हैं)
(आवाज़ दबाने वालों से)
(कहूँ, कहूँ)
(मैं कहूँ)
Writer(s): Kausar Munir, Ankur Tewari Lyrics powered by www.musixmatch.com