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Ankahee Songtext
von Amitabh Bhattacharya

Ankahee Songtext

क्या कभी सवेरा, हा हा
लाता हैं अंधेरा, हा हा
सूखी सियाही
देती हैं गवाही
सदियों पुरानी
ऐसी इक कहानी
रह गयी, रह गयी
अनकही
अनकही

क्या कभी सवेरा, हा हा
लाता हैं अंधेरा, हा हा
सूखी सियाही
देती हैं गवाही


सदियों पुरानी
ऐसी इक कहानी
रह गयी, रह गयी
अनकही
अनकही

क्या कभी बहार भी, पेशगी लाती है
आने वाले पतझर की
ओ बारिशें नाराज़गी भी जाता जाती हैं
कभी कभी अंबर की
पत्ते जो शाखों से टूटे
बेवजाह तो नहीं रूठे, हैं सभी

ख्वाबों का झरोखा, हा हा
सच था या धोखा, हा हा
माथा सहला के
निंदिया चुराई

सदियों पुरानी
ऐसी इक कहानी
रह गयी, रह गयी
अनकही
ओ अनकही

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