Parinda Songtext
von Amaal Mallik
Parinda Songtext
जलना-बुझना, बुझ के जलना
मरना-जीना, मर के जीना
माँगने वाली चीज़ नहीं ये
मौक़ा उसका, जिसने छीना
गिरना-उठना, उठ के चलना
चढ़ जा अंबर ज़ीना-ज़ीना
याद रहे ये शर्त सफ़र की
पीछे मुड़ के देख कभी ना
जीत का जुनूँ है तो हार सोचना क्यूँ?
जब ज़िंदगी है एक ही, दो बार सोचना क्यूँ?
Rock
मैं परिंदा क्यूँ बनूँ? मुझे आसमाँ बनना है
मैं एक पन्ना क्यूँ रहूँ? मुझे दास्ताँ बनना है
मैं परिंदा क्यूँ बनूँ? मुझे आसमाँ बनना है
कोई तो वजह है, जो ज़िद पे अड़ी हैं ये धड़कनें
यही तो मज़ा है, किया जो किसी ने नहीं, हम करें
कोई तो वजह है, जो ज़िद पे अड़ी हैं ये धड़कनें
हाँ, यही तो मज़ा है, किया जो किसी ने नहीं, हम करें
ललकार की घड़ी है ये, बेकार सोचना क्यूँ?
जब ज़िंदगी है एक ही, दो बार सोचना क्यूँ?
मैं परिंदा क्यूँ बनूँ? मुझे आसमाँ बनना है
मैं एक पन्ना क्यूँ रहूँ? मुझे दास्ताँ बनना है
मैं परिंदा क्यूँ बनूँ? मुझे आसमाँ बनना है
सूरज आँख दिखा ले आज, कल तेरी आँख झुकनी है
तेरे अंदर है जितनी आग, यहाँ उससे भी दुगनी है
सूरज आँख दिखा ले आज, कल तेरी आँख झुकनी है
तेरे अंदर है जितनी आग, यहाँ उससे भी दुगनी है
तलवार हाथ में है तेरे, दे मार, सोचना क्यूँ?
जब ज़िंदगी है एक ही, दो बार सोचना क्यूँ?
मैं परिंदा क्यूँ बनूँ? मुझे आसमाँ बनना है
मैं एक पन्ना क्यूँ रहूँ? मुझे दास्ताँ बनना है
मैं परिंदा क्यूँ बनूँ? मुझे आसमाँ बनना है
मरना-जीना, मर के जीना
माँगने वाली चीज़ नहीं ये
मौक़ा उसका, जिसने छीना
गिरना-उठना, उठ के चलना
चढ़ जा अंबर ज़ीना-ज़ीना
याद रहे ये शर्त सफ़र की
पीछे मुड़ के देख कभी ना
जीत का जुनूँ है तो हार सोचना क्यूँ?
जब ज़िंदगी है एक ही, दो बार सोचना क्यूँ?
Rock
मैं परिंदा क्यूँ बनूँ? मुझे आसमाँ बनना है
मैं एक पन्ना क्यूँ रहूँ? मुझे दास्ताँ बनना है
मैं परिंदा क्यूँ बनूँ? मुझे आसमाँ बनना है
कोई तो वजह है, जो ज़िद पे अड़ी हैं ये धड़कनें
यही तो मज़ा है, किया जो किसी ने नहीं, हम करें
कोई तो वजह है, जो ज़िद पे अड़ी हैं ये धड़कनें
हाँ, यही तो मज़ा है, किया जो किसी ने नहीं, हम करें
ललकार की घड़ी है ये, बेकार सोचना क्यूँ?
जब ज़िंदगी है एक ही, दो बार सोचना क्यूँ?
मैं परिंदा क्यूँ बनूँ? मुझे आसमाँ बनना है
मैं एक पन्ना क्यूँ रहूँ? मुझे दास्ताँ बनना है
मैं परिंदा क्यूँ बनूँ? मुझे आसमाँ बनना है
सूरज आँख दिखा ले आज, कल तेरी आँख झुकनी है
तेरे अंदर है जितनी आग, यहाँ उससे भी दुगनी है
सूरज आँख दिखा ले आज, कल तेरी आँख झुकनी है
तेरे अंदर है जितनी आग, यहाँ उससे भी दुगनी है
तलवार हाथ में है तेरे, दे मार, सोचना क्यूँ?
जब ज़िंदगी है एक ही, दो बार सोचना क्यूँ?
मैं परिंदा क्यूँ बनूँ? मुझे आसमाँ बनना है
मैं एक पन्ना क्यूँ रहूँ? मुझे दास्ताँ बनना है
मैं परिंदा क्यूँ बनूँ? मुझे आसमाँ बनना है
Writer(s): Manoj Muntashir Lyrics powered by www.musixmatch.com